दस दिनों के महापर्व दशहरा के अंतिम दिन देवी प्रतिमाओं का विसर्जन होता है। इस साल भी धूम-धाम से हुई पूजा के बाद दुर्गा की प्रतिमाओं को विसर्जन के लिए ले जाया गया।पटना सिटी में प्रतिमाओं के विसर्जन का सिलसिला मारुफगंज की बड़ी देवी जी और महाराजगंज की बड़ी देवी जी के खोइंचा मिलन समारोह के साथ शुरू हुआ। व्यवहार न्यायालय के पास दोनों देवियों का मिलन समारोह आयोजित हुआ। माना जाता है कि दोनों देवियों में बहनों-सा रिश्ता है। महाराजगंज की बड़ी देवी जी छोटी बहन हैं और मारुफगंज की बड़ी देवी जी बड़ी बहन। छोटी बहन पहले आती हैं और बड़ी बहन का इंतजार करती हैं। बड़ी बहन के आने के बाद दोनों के खोइंचा का आदान-प्रदान होता है। इसके बाद बड़ी बहन पहले विदा होती हैं और उनके पीछे छोटी बहन का विसर्जन किया जाता है। खोइंचा मिलन के विहंगम दृश्य को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।वहीं दानापुर में भी सैकड़ों वर्षों से परम्परा चली आ रही है कि दक्षिणेश्वर काली मंदिर की बड़ी देवी जी और गोला रोड की छोटी काली मां के भी विसर्जन से पहले खोइंचा की अदला-बदली की जाती है। इस भव्य मिलन समारोह के बाद ढोल-नगाड़ों के बीच दोनों देवियों की आरती होती है और उसके बाद प्रतिमाओं को विसर्जन के लिए ले जाया जाता है। मान्यता है कि खोइंचा मिलन के समय मां से मांगी गई हर मुराद मां जरूर पूरा करती हैं। दूर-दूर से श्रद्धालु इस समारोह को देखने आते हैं।