राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) ने बिहार सरकार को नोटिस जारी कर पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के जन्मदिन समारोह के दौरान डॉ. बीआर आंबेडकर की तस्वीर के कथित अपमान की घटना पर विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने 15 दिनों के भीतर यह रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया है। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, लालू प्रसाद के 78वें जन्मदिन समारोह का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें आंबेडकर की तस्वीर को कथित तौर पर उनके पैरों के पास रखा हुआ देखा। आयोग ने बिहार सरकार से इस घटना की पूरी जानकारी मांगी है, जिसमें अपराध की तारीख और प्रकृति, पीड़ितों व आरोपियों के नाम और पते, प्राथमिकी का विवरण, गिरफ्तारी की स्थिति और जांच की प्रगति शामिल है। नोटिस में चेतावनी दी गई है कि अगर निर्धारित समय में जवाब नहीं दिया गया, तो आयोग संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत अपनी शक्तियों का उपयोग कर सकता है। इस अनुच्छेद के तहत आयोग को जरूरी दस्तावेजों के साथ व्यक्तियों या प्रतिनिधियों को तलब करने का अधिकार है।
बता दें कि केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी बाबा साहब आंबेडकर का कथित रूप से अपमान करने के लिए आरजेडी के अध्यक्ष लालू प्रसाद पर सोमवार को निशाना साधते हुए कहा था कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री को राज्य और देश की जनता कभी माफ नहीं करेगी। चौहान ने कहा था, ‘मैं अचंभित हूं कि लालू प्रसाद के साथ क्या गलत हुआ है। उन्होंने भारत रत्न से सम्मानित आंबेडकर की तस्वीर अपने पैरों के नीचे रखवाई थी, जिन्होंने देश को उसका संविधान दिया। मुझे दुख और पीड़ा महसूस हो रही है।’
चौहान पिछले सप्ताह लालू प्रसाद के 78वें जन्मदिन समारोह के एक वीडियो फुटेज का हवाला दे रहे थे, जिसमें एक आगंतुक ने आरजेडी सुप्रीमो के पैर के पास आंबेडकर का चित्र रखा था। हालांकि, आरजेडी ने इस आरोप से इनकार किया और दावा किया है कि आगंतुक ने अपने हाथों में चित्र पकड़ रखा था और बीजेपी ‘कैमरा एंगल’ के कारण विवाद खड़ा कर रही है। चौहान ने कहा कि इस घटना ने प्रसाद के ‘सामाजिक न्याय’ के मसीहा होने के दावों पर सवाल खड़ा करते हुए कहा था, ‘बिहार और पूरे देश के लोग आरजेडी और उसके अध्यक्ष को कभी माफ नहीं करेंगे।’