पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर जिले की डेबरा विधानसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस विधायक और पूर्व आईपीएस हुमायूं कबीर एक बार फिर विवादों में आ गए हैं। इस बार मामला उनके सोशल मीडिया पोस्ट से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से नेपाल जैसी स्थिति का हवाला देते हुए भारत में भी जनविद्रोह की जरूरत बताई थी। कबीर ने अपने पोस्ट में बिना नेपाल का नाम लिए लिखा था कि भारत में कब ऐसा स्वतःस्फूर्त आंदोलन होगा, जिसमें तानाशाहों का अंत होगा और भ्रष्टाचार उजागर होगा। पोस्ट में उन्होंने सवाल किया, “हमारे देश के तानाशाहों के साथ वही कब होगा? भ्रष्टाचार के चेहरे कब बेनकाब होंगे? क्या आप भी मेरी तरह सपना देखते हैं?” उनकी यह टिप्पणी सामने आते ही विवाद खड़ा हो गया। कई राजनीतिक हलकों से तीखी प्रतिक्रिया आई और सवाल उठे कि एक जनप्रतिनिधि इस तरह का बयान कैसे दे सकते हैं। उधर, तृणमूल कांग्रेस के भीतर से भी संकेत मिले कि उनका पोस्ट पार्टी लाइन के विपरीत है, क्योंकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नेपाल संकट पर अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है और इसे केंद्र सरकार का विषय बताया है। विवाद बढ़ने के बाद कबीर ने उसी पोस्ट के कमेंट सेक्शन में सफाई दी। उन्होंने कहा कि भारत में बदलाव जरूरी है, लेकिन वह हिंसा नहीं बल्कि शांतिपूर्ण और अहिंसक तरीके से होना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका बयान किसी खास राजनीतिक दल के खिलाफ नहीं था। कबीर ने लिखा, “मैं शांति प्रिय इंसान हूं और हमेशा कानून का पालन करूंगा। देश में भी बदलाव जरूरी है, जो मौन और अहिंसक आंदोलन से आना चाहिए। इससे भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और सामाजिक विभाजन खत्म होंगे और ईमानदार, शिक्षित लोग आगे आएंगे।
यह पहला मौका नहीं है जब कबीर विवादों में आए हों। जुलाई में उनका एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह पश्चिम बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (डब्यूबीयूएचएस) के असिस्टेंट रजिस्ट्रार प्रलय चक्रवर्ती के साथ हाथापाई करते नजर आए थे। इसके अलावा, कलिगंज उपचुनाव के दौरान विस्फोट में मारी गई नाबालिग बच्ची तमन्ना खातून के घर पहुंचकर कबीर द्वारा पीड़ित परिवार को पैसे देने की कोशिश ने भी उन्हें विवादों में ला दिया था। उस समय पार्टी ने उन्हें कारण बताओ नोटिस भी थमाया था।