ओडिशा के मुख्य सचिव मनोज आहूजा ने "निवारक सतर्कता" पर ज़ोर देते हुए विजिलेंस विभाग को मज़बूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। वरिष्ठ अधिकारियों को लिखे एक पत्र में आहूजा ने पारदर्शी, नागरिक-केंद्रित शासन के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला और विजिलेंस विभाग द्वारा हाल ही में पकड़े गए भ्रष्टाचार के मामलों का ज़िक्र किया।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सिर्फ़ दंडात्मक कार्रवाई ही पर्याप्त नहीं है। प्रशासनिक, कानूनी और सामाजिक सुधारों के माध्यम से भ्रष्टाचार के मूल कारणों का समाधान करना बेहद ज़रूरी है।
आहूजा ने विभागों से संवेदनशील क्षेत्रों की सक्रिय रूप से पहचान करने और जोखिम उत्पन्न होने से पहले ही उन्हें कम करने का आह्वान किया। निवारक सतर्कता अत्यधिक विनियमन, विवेकाधीन शक्तियों, कमज़ोर शिकायत प्रणाली और कम जन जागरूकता जैसे मुद्दों पर केंद्रित है। मुख्य ध्यान केंद्रित क्षेत्रों में खरीद और अनुबंध प्रबंधन, मानव संसाधन प्रबंधन और सेवा वितरण शामिल हैं।
ई-खरीद, ई-निविदा और तृतीय-पक्ष प्रमाणन जैसे ई-सुधार पहले से ही खरीद में भ्रष्टाचार के जोखिम को कम कर रहे हैं। ऑनलाइन स्थानांतरण नीतियों और नागरिक प्रतिक्रिया तंत्र जैसी अन्य पहलों का उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना है। इसके अलावा, जन विश्वास विधेयक और व्यावसायिक नियमों में सुधार विवेकाधीन शक्तियों और भ्रष्टाचार को कम करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
इन सुधारों को लागू करने के लिए आहूजा ने सभी विभाग प्रमुखों और कलेक्टरों को कुछ मुख्य निर्देश दिए हैं-
Ø 1.संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करने और कार्य योजनाएं बनाने के लिए आंतरिक सतर्कता समितियों का गठन करें।
Ø 2.ई-टेंडरिंग और ऑनलाइन मानव संसाधन प्रणालियों जैसे प्रौद्योगिकी-संचालित सुधारों का विस्तार करें।
Ø 3.निष्पक्ष कर्मचारी रोटेशन सहित पारदर्शी मानव संसाधन प्रथाओं को लागू करें।
Ø 4.सेवा समय-सीमा प्रदर्शित करें और अनुपालन की निगरानी करें।
Ø 5.नियमित समीक्षा और प्रतिक्रिया के माध्यम से भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की संस्कृति को बढ़ावा दें।