बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दनादन फैसले ले रहे हैं। एक तरह जहां प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आयोगों का भी गठन कर रहे हैं। राज्य अल्पसंख्यक आयोग और सवर्ण आयोग के बाद तीन अन्य आयोगों का भी गठन कर दिया गया है। वीआईपी चीफ मुकेश सहनी के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए मछुआरा आयोग को भी गठित कर दिया गया है। मछुआरा आयोग के गठन को मिली मंजूरी: नीतीश सरकार ने मछुआरा आयोग का गठन लंबे समय के बाद किया है। मछुआरा आयोग में पांच नेताओं को जगह मिली है। ललन कुमार को मछुआरा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है तो अजीत चौधरी उपाध्यक्ष बनाए गए हैं। वहीं, विद्यासागर निषाद, रेनू सिंह और राजकुमार को मछुआरा आयोग में सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है।
महादलित आयोग का गठन भी कर दिया गया है। मनोज कुमार महादलित आयोग के अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं। राजेंद्र राम, रामेश्वर रजक और रामनरेश राम भी महादलित आयोग के सदस्य नियुक्त किए गए हैं।
बिहार में अनुसूचित जाति आयोग का भी गठन कर दिया गया है। देवेंद्र कुमार को अनुसूचित जाति आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया है। अजय कुमार अनुसूचित जाति आयोग में सदस्य बनाए गए हैं। इसके अलावे रूबेल रविदास को भी अनुसूचित जाति आयोग में सदस्य बनाया गया है।
विधानसभा चुनाव से पहले इसे नीतीश कुमार का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। सभी आयोग में जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी के अलावे अन्य घटक दल के नेताओं और कार्यकर्ताओं को जगह दी गई है।