माओवादी विरोधी अभियान में एक बड़ी सफलता के रूप में बांसधारा-घुमुसर-नागबली (बीजीएन) डिवीजन के एक खूंखार माओवादी बिजय पुनेम उर्फ अजय ने मंगलवार को रायगढ़ा जिले में पुलिस अधीक्षक के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है।
आत्मसमर्पण प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) संगठन के लिए एक बड़ा झटका है, खासकर ओडिशा और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्रों में।
मूल रूप से छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के हुसुर गांव निवासी बिजय ने एक पिस्तौल और आठ राउंड जिंदा गोला-बारूद के साथ आत्मसमर्पण किया। ओडिशा सरकार ने उसकी गिरफ्तारी के लिए सूचना देने वाले को 4 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी। उसका आत्मसमर्पण सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव और माओवादी संगठन के भीतर बिगड़ते हालात का नतीजा था।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, बिजय ओडिशा के कंधमाल जिले और छत्तीसगढ़ के कई क्षेत्रों में माओवादियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच कई मुठभेड़ों में शामिल रहा है।
कंधमाल के तुमुदीबांध, रायकिया, गोछापड़ा और कोटागढ़ के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में हुई हिंसक घटनाओं में उसकी सीधी संलिप्तता थी। विभिन्न उग्रवादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए उसके खिलाफ सात से अधिक मामले दर्ज किए गए थे।
उल्लेखनीय है कि बिजय 2009 में सीपीआई (माओवादी) में शामिल हुआ और शुरू में बुनियादी प्रशिक्षण लिया। वह वरिष्ठ माओवादी नेता मॉडेम बालकृष्ण उर्फ मनोज के निजी सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करता था।
2014 में उसे पार्टी सदस्य से एरिया कमेटी सदस्य (एसीएम) के पद पर पदोन्नत किया गया और उसने बीजीएन डिवीजन के तहत सक्रिय रूप से काम करना शुरू कर दिया और मनोज के लिए एक गनमैन के रूप में काम किया।
2024 तक उसने ओडिशा में बीजीएन डिवीजन की घुमुसर एरिया कमेटी का नेतृत्व संभाल लिया था।
अपने आत्मसमर्पण के कारणों का हवाला देते हुए बिजय ने माओवादी नेतृत्व के साथ गंभीर असंतोष का खुलासा किया। उसने वरिष्ठ कार्यकर्ताओं द्वारा मानसिक प्रताड़ना, बुनियादी भोजन और पानी की कमी, सुरक्षा बलों द्वारा तलाशी अभियान का लगातार डर, शिविरों में आंतरिक भेदभाव और भाषा संबंधी बाधाओं से उत्पन्न होने वाली कठिनाइयों का आरोप लगाया है। इन कारकों ने उग्रवाद से बाहर बेहतर जीवन की प्राप्ति के साथ मिलकर उन्हें हथियार छोड़ने के लिए प्रेरित किया।
बतादें कि ओडिशा सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति देश में सर्वश्रेष्ठ में से एक मानी जाती है। इस नीति के तहत, आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को मुख्यधारा के समाज में सम्मानजनक वापसी के लिए वित्तीय सहायता, आवास, शैक्षिक अवसर और व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।