झारखंड में नगर निकाय चुनाव नहीं कराए जाने को लेकर हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है। झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने सोमवार को निकाय चुनाव मामले में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने प्रार्थी व प्रतिवादियों का पक्ष सुनने के बाद 3 सप्ताह में चुनाव कराने के आदेश का अनुपालन नहीं होने पर नाराजगी जतायी। हाईकोर्ट ने भारत निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया है। वहीं अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव को अगली सुनवाई के दौरान सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दिया है। बता दें कि निकाय चुनाव को लेकर हाईकोर्ट ने दायर याचिका पर सोमवार को सुनवाई किया। कोर्ट के निर्देश के बाद चुनाव नहीं कराये जाने पर जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने कहा कि यह अवमानना का मामला बनता है। वहीं राज्य सरकार ने ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल लेयर टेस्ट की बात कही। इसको लेकर याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार की मनसा साफ नहीं है। इसलिए चुनाव नहीं करा रही है। क्योंकि पिछले साल जनवरी में ही कोर्ट ने निकाय चुनाव करान का आदेश दिया था। लेकिन राज्य सरकार ने उस आदेश को चुनौती दे दिया था। वहीं पूर्व पार्षद ने कहा कि शहर की जनता से वर्तमान सरकार को कोई सरोकार नहीं है। शहर की जनता पानी,सड़क,विजली और नाली जैसी समस्याओं से जूझ रही है। लेकिन सरकार का फोक्स सिर्फ गांव की जनता की तरफ़ है। अगर निकाय चुनाव को लेकर सरकार की मंशा साफ होती तो इस तरह का टाल मटोल रवैया नहीं अपनाती।
वहीं सत्ता में शामिल कांग्रेस का कहना है कि हमारी सरकार हमेशा से सत्ता का विकेंद्रीयकरण करना चाहती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ध्यान में रखकर सरकार काम कर रही थी। ओबीसी आरक्षण को लेकर जारी ट्रिपल टेस्ट का काम भी बहुत जल्द पूरा होने वाला है। इसके साथ ही राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से बार बार केंद्रीय चुनाव आयोग से वोटर लिस्ट की मांग की गई। लेकिन केंद्रीय चुनाव आयोग वोटर लिस्ट उपलब्ध नहीं करा रहा था जिसको देखते हुए हाईकोर्ट ने केंद्रीय चुनाव आयोग को नोटिस भी जारी किया है। कोर्ट का जो भी फैसला होगा सरकार उसका पालन करेगी। हम हमेशा से सत्ता जनता के हाथ में देना चाहते हैं।