शिक्षा ‘ओ’ अनुसंधान डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी (सोआ) के चिकित्सा संकाय, इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और एसयूएम अस्पताल, पार्किंसंस रोग के इलाज के लिए डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) सर्जरी सफलतापूर्वक करने वाला ओडिशा का पहला अस्पताल बन गया है।
देश के प्रख्यात न्यूरो सर्जन और सोआ के प्रमुख सलाहकार (स्वास्थ्य विज्ञान) प्रोफेसर (डॉ.) अशोक कुमार महापात्र ने कहा कि पार्किंसंस रोग (पीडी) के कुछ पहलुओं के इलाज के लिए एक शक्तिशाली उन्नत सर्जिकल थेरेपी के रूप में माना जाता है, यह ज्यादातर पार्किंसंस रोग के लक्षणों को संबोधित करता है और नींद व दर्द सहित कुछ लक्षणों में सुधार करता है।
हालांकि डीबीएस रोग की प्रगति को ठीक नहीं करेगा, लेकिन यह उन्नत पीडी रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करेगा।
प्रो. (डॉ.) महापात्र ने कहा कि डीबीएस अपेक्षाकृत सुरक्षित सर्जरी है और सर्जरी के दौरान मरीज ज्यादातर समय होश में रहता है। पहले इस स्थिति का इलाज केवल दवाओं से किया जाता था, लेकिन अब सर्जरी के जरिए इसका इलाज संभव है। हाल ही में अस्पताल में 36 वर्षीय महिला पर यह अनोखी सर्जरी की गई, जो पीडी से पीड़ित थी। चिकित्सा अधीक्षक प्रो. (डॉ.) पुष्पराज सामंतसिंहर ने कहा कि यह सर्जरी ओडिशा में पहली बार आईएमएस और एसयूएम अस्पताल में की गई है। सर्जरी के बाद मरीज ठीक है। न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख प्रो. सौभाग्य पाणिग्रही ने कहा कि सर्जरी में सात से आठ घंटे लगे। न्यूरो मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर प्रो. (डॉ.) लुलुप कुमार साहू, जिन्होंने मरीज का इलाज किया, ने कहा कि बीमारी के शुरुआती चार से पांच साल तक दवा से मरीज को अच्छा महसूस होता है। लेकिन उसके बाद पीडी के मरीजों के लिए दवा कारगर नहीं पाई जाती है। पार्किंसंस एक न्यूरो डिजनरेटिव बीमारी है और एक मूवमेंट डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर धीमा हो जाता है। प्रो. (डॉ.) साहू ने कहा कि इस बीमारी की विशेषता गति से संबंधित लक्षण हैं जैसे चलने में धीमापन, लिखने में कठिनाई, आवाज का धीमा होना, हाथ और पैर कांपना, शरीर के अंगों में अकड़न और कभी-कभी आसन असंतुलन। इसमें कब्ज, नींद की गड़बड़ी, अवसाद और चिंता जैसे विभिन्न लक्षण भी हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. (डॉ.) श्रीकांत कुमार साहू और न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रो. (डॉ.) राम चंद्र देव मौजूद थे।