नई ऊर्जा नीति में सोलर फार्मिंग भी शामिल होगी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में खेती के लिए अनुपयुक्त 28 लाख हेक्टेयर भूमि का सौर ऊर्जा उत्पादन में उपयोग हो सकेगा। इससे किसानों की आय बढ़ेगी। राज्य में लक्ष्य के अनुरूप 2022 तक 2100 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकेगा। सुदूर गांवों में निर्बाध बिजली आपूर्ति की जा सकेगी। बिजली वितरण का विकेंद्रीकरण भी होगा। झारखंड में प्रतिवर्ष औसतन 300 दिन धूप खिलती है। यहां धूलकण और प्रदूषण का स्तर कम होने के कारण सौर ऊर्जा उत्पादन की काफी संभावनाए हैं। राज्य में प्रतिदिन प्रति वर्गमीटर 4.5 से 5.5 किलोवाट घंटे का सौर विकिरण प्राप्त होता है। कृषि के लिए अनुपयुक्त पांच एकड़ भूमि पर सोलर संयंत्र से एक मेगावाट बिजली (10 लाख यूनिट) पैदा की जा सकती है। एक एकड़ जमीन पर 0.20 मेगावाट का सोलर प्लांट स्थापित किया जा सकता है। केंद्र सरकार के अध्ययन के अनुसार एक एकड़ जमीन पर सोलर फार्मिंग से एक किसान को प्रतिवर्ष 15 से 20 हजार रुपये की कमाई हो सकेगी। केंद्र सरकार के लक्ष्य के तहत 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए झारखंड सरकार सोलर फार्मिंग को बढ़ावा देगी। झारखंड नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (ज्रेडा) ने सोलर फार्मिंग की नीति का ड्राफ्ट तैयार किया है।