आईएएस पूजा सिंघल से पूछताछ में ईडी को कई नये घोटालों की जानकारी मिल रही है। अब ईडी सूत्रों से यह जानकारी मिल रही है कि पिछले ढाई-तीन साल में झारखंड में हजारों करोड़ के बालू की लूट हुई है। इस लूट का बड़ा हिस्सा अफसरों और राजनेताओं तक भी पहुंचता है। राज्य में पिछले तीन सालों से बालू घाटों की नीलामी नहीं हुई है। बताया जाता है कि बालू घाटों के नीलामी प्रक्रिया को तकनीकी रूप से उलझा कर बालू लूट की योजना तैयार की गई थी।
बालू घाटों की नीलामी रोक कर सैकड़ों बालू स्टॉक यार्डों का लाइसेंस निर्गत किया गया। खनन विभाग के अधिकारियों ने नेताओं-विधायकों के चहेतों को स्टॉक यार्ड का लाइसेंस निर्गत कर बालू तस्करी का रास्ता तैयार कर लिया और आज तक बालू का अवैध कारोबार स्टॉक यार्डों के नाम पर हो रहा है।
स्टॉक की जानकारी लिये बिना दे दिये गये लाइसेंसः खनन विभाग के अफसरों ने स्टॉक यार्डों में बालू के स्टॉक की जानकारी लिये बिना ही सैकड़ों बालू स्टॉक यार्डों का लाइसेंस जारी कर दिया। उन्होंने यह वेरीफाई नहीं किया कि स्टॉक यार्डों में कहां से बालू स्टॉक किया गया है। कितने बालू का कब स्टॉक किया गया और बालू की खरीदारी किस लीज धारक से की गई। बताया जाता है कि लाइसेंस देने के एवज में सभी स्टॉक होल्डरों से डील की गई थी। स्टॉक लाइसेंस देने से लेकर स्टॉक यार्डों से होने वाले बालू सप्लाई तक कि रकम फिक्स थी।
स्टॉक यार्ड के नाम पर धडल्ले से जारी है बालू तस्करीः राज्य भर में स्टॉक यार्डों के नाम बालू तस्करी खुले आम जारी है। स्थानीय थाना से लेकर खनन विभाग और राजनेताओं तक बालू की अवैध कमाई का हिस्सा पहुंचता है। हर जिले में इस सिंडिकेट में स्थानीय दबंग नेताओं और विधायकों के करीबी लोग शामिल हैं। यह दबंग नेता उस वक्त काम आते हैं जब स्थानीय लोग बालू तस्करी को लेकर विरोध करते हैं। स्टॉक होल्डर प्रशासन और राजनेताओं की मिलीभगत से स्थानीय नदियों-घाटों से बालू उठाकर आसपास के इलाकों में ऊंचे दामों पर बेच रहे हैं। ईडी की जांच के बाद इस मामले में कई सफेदपोश भी बेनकाब होंगे।