अब तक की जांच में एक बात तो स्पष्ट होने लगी है कि सीजीएल (कर्मचारी चयन आयोग) पेपर लीक जैसा कोई मामला ही नहीं था, लेकिन लीक होने का दावा करके एक गिरोह के द्वारा लाखों की ठगी की गई, मामले में सीआईडी के द्वारा फोरेंसिक जांच भी कारवाई गई है। सीजीएल पेपर लीक मामले की जांच लगभग पूरी हो चली है। सबसे खास बात यह है कि जांच की हर दिशा यही साबित कर रही है कि सीजीएल का प्रश्न पत्र लीक हुआ ही नहीं था। लेकिन एक बड़े गिरोह ने पेपर लीक होने और प्रश्न पत्र उपलब्ध करवाने के नाम पर लाखों रुपए की ठगी जरूर कर ली।झारखंड के डीजीपी ने एक बार इस बात को दोहराया की पूरी जांच में पेपर लीक होने का कोई साक्ष्य नहीं मिला है। डीजीपी के अनुसार कुछ लोगों ने जिसमें छात्र या फिर किसी कोचिंग सेंटर भी हो सकता है, उसने एक प्रश्न का उत्तर लिख कर मोबाइल के टाइमलाइन में हेरा फेरी कर उसे वायरल किया। उसी कागज पर लिखे उत्तर को प्रश्न पत्र बता दिया गया, जबकि वह एक उत्तर लिखा हुआ पेज भर था।जेपीएससी के द्वारा आयोजित सीजीएल परीक्षा के मामले में उत्तर प्रदेश और झारखंड से जुड़े एक गैंग ने मौके का फायदा उठाया और कई लोगों से लाखों की ठगी की। गिरोह के सदस्यों ने परीक्षार्थियों को प्रश्न पत्र देने के नाम पर धोखाधड़ी की, साथ ही पूरे मामले में एक ऐसा आवरण तैयार कर दिया कि प्रश्न पत्र लीक हुआ है और लीक प्रश्न पत्र गिरोह के पास है। सीआईडी की एसआईटी जब पेपर लीक के आरोपों में दर्ज केस की जांच कर रही थी, तब गिरोह के संबंध में साक्ष्य मिले।
मामले में कारवाई करते हुए सीआईडी ने इंडियन रिजर्व बटालियन के छह जवान, एक असम राइफल के जवान, रामगढ़ में पोस्टेड एक होमगार्ड के जवान समेत कुल 10 लोगों की गिरफ्तारी की है। इसी गिरोह के द्वारा कुछ लोगों को नेपाल ले जाकर प्रश्न पत्र देने की बात सामने आयी थी, लेकिन गिरोह के हत्थे चढ़ने के बाद एसआईटी ने दावा किया है कि अब तक पेपर लीक से जुड़ा कोई तकनीकी या भौतिक साक्ष्य एजेंसी को नहीं मिला है।