कोई व्यक्ति कितना लंबा जीवन जीता है, यह महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि वह कैसे जीता है और उस दौरान क्या करता है, यह महत्वपूर्ण है। हरेकृष्ण महताब के जीवन से हमें यही सीख मिलती है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को हरेकृष्ण महताब की 125वीं जयंती के अवसर पर रेवेंशॉ विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में बोलते हुए यह बातें कही।
गडकरी ने कहा कि महताब ने साबित कर दिया कि ओडिशा में शिक्षा के विकास के लिए आत्मविश्वास और ज्ञान का संयोजन आवश्यक है। चाहे हीराकुद बांध का निर्माण हो या ओडिशा की राजधानी के रूप में भुवनेश्वर की स्थापना, इतिहास उनके योगदान को हमेशा याद रखेगा। गडकरी ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महाराष्ट्र की अहमदनगर जेल में कैद रहते हुए भी महताब ने ओडिशा के लिए एक नई सुबह का सपना देखा था।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि विकास के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत होती है, न कि सिर्फ व्यक्तिगत प्रयासों की। उन्होंने कहा कि लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति जरूरी है। अगर इच्छाशक्ति है, तो रास्ता निकल आएगा। हमारे देश में न तो वित्तीय संसाधनों की कमी है और न ही बौद्धिक पूंजी की। किसी भी परियोजना की सफलता के लिए इच्छाशक्ति की जरूरत होती है। पानी, बिजली, परिवहन और संचार चार बुनियादी स्तंभ हैं, जिनके जरिए ओडिशा प्रगति कर सकता है। "असंभव" के भीतर "संभव" को खोजना ही सच्चा विकास है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि आज जहां कई लोग गांवों से शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं, वहीं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बार उन्हें गांवों तक सड़कें बनाने का काम सौंपा था। आज हमारा लक्ष्य सिर्फ स्मार्ट शहर ही नहीं, बल्कि स्मार्ट गांव भी बनाना है। दृढ़ निश्चय से सब कुछ संभव है। गडकरी ने कहा कि संस्कृति व्यक्ति के चरित्र को आकार देती है और महाताब ने अपनी कलम की ताकत से यह सिखाया।
इसी तरह, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने हरेकृष्ण महताब को एक बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी- महान स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, राजनयिक, लेखक, पत्रकार और इतिहासकार बताया। उन्होंने कहा कि महताब वास्तव में आधुनिक ओडिशा के निर्माता थे। आज हम जिस ओडिशा को देख रहे हैं, वह उनकी दूरदृष्टि से ही बना है। स्वतंत्रता के बाद, सरदार वल्लभभाई पटेल और महताब के प्रयासों से 26 रियासतों को ओडिशा में मिला दिया गया, जिससे राज्य का क्षेत्रफल बढ़कर 155,707 वर्ग किलोमीटर हो गया। यह महताब की बुद्धि, ज्ञान और समर्पित प्रयासों से संभव हुआ। इसलिए, उन्हें "ओडिशा का सरदार पटेल" कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। वे महताब हमेशा ओडिशावासियों के दिलों में रहेंगे। माझी ने आगे कहा कि महताब अपने आप में एक संपूर्ण संस्था थे।