ओडिया मध्यकालीन साहित्य व लिपि के विकास पर दो पुस्तकों का विमोचन

  • Dec 03, 2024
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भुवनेश्वर, 03 दिसंबर:

शिक्षा अनुसंधान (एसओए) द्वारा प्रकाशित ओडिया भाषा से संबंधित अत्यधिक महत्व की दो पुस्तकों का सोमवार को सोआ के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) मनोजरंजन नायक ने विमोचन किया।

'जुगाभंजंका दासपोई' और 'प्राचीन ओडिया अभिलेख' नामक पुस्तकें सोआ सेंटर फॉर प्रिजर्वेशन, प्रोपेगेशन एंड रेस्टोरेशन ऑफ एंशिएंट कल्चर एंड हेरिटेज ऑफ इंडिया (पीपीआरएसीएचआईएन) द्वारा प्रकाशित की गई थीं।

'जुगाभंजंका दासपोई' पुस्तक पहली बार 1875 में प्रकाशित हुई थी और फिर 1952 में पुनः प्रकाशित हुई थी। हालांकि, गलती से इसका श्रेय कवि सम्राट उपेंद्र भंज को दे दिया गया था। बाद में पता चला कि पुस्तक के लेखक तत्कालीन बौध राजा जुगाभंज थे।

हाल ही में जारी की गई पुस्तक पहले के प्रकाशन का एक महत्वपूर्ण संस्करण है और इसे 'चित्रपोथी' के नाम से जाना जाता है क्योंकि इसमें ताड़ के पत्ते पर पारंपरिक शैली की पेंटिंग हैं। यह 16वीं से 19वीं शताब्दी तक फैले मध्ययुगीन ओडिया साहित्य की शैली से संबंधित है। इस पुस्तक का संपादन प्रो. सुदर्शन आचार्य और प्रो. गौरांग चरण दाश ने किया है। दूसरी पुस्तक, 'प्राचीन ओडिया अभिलेख' का संपादन प्रख्यात पुरालेखविद् प्रो. सुब्रत कुमार आचार्य ने किया है और इसमें 'उरजम पत्थर के शिलालेखों' से लेकर 18वीं शताब्दी तक ओडिया लिपि और भाषा के विकास का पता लगाया गया है। दोनों पुस्तकों के विमोचन के दौरान पीपीआरएसीआईएन की प्रमुख प्रो. (डॉ.) गायत्रीबाला पंडा मौजूद थीं।

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