दूसरे राज्यों में काम करने के दौरान पिछले दो सालों में ओडिशा के कुल 207 प्रवासी श्रमिकों की मौत हुई है। यह जानकारी श्रम एवं कर्मचारी राज्य बीमा मंत्री गणेश रामसिंह खुंटिया ने मंगलवार को ओडिशा विधानसभा में विधायक उपासना महापात्र के प्रश्न के लिखित उत्तर में दी है।
बयान में बताया गया कि राज्य सरकार श्रमिकों के शवों को वापस लाने और उनका अंतिम संस्कार करने के लिए पैसे खर्च करती है। पिछले दो सालों में सरकार ने इस पर कुल 30,29,854 रुपये खर्च किए हैं।
पिछले दो वर्षों, 2023 से जनवरी 2025 के दौरान शवों को स्थानांतरित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए कुल खर्च इस प्रकार हैं-
अंगुल - 32,500 रुपये
बालेश्वर - 2,07,600 रुपये
भद्रक- 1,58,000 रुपये
बलांगीर- 2,96,780 रुपये
गजपति - 1,20,000 रुपये
छत्रपुर- 80,000 रुपये
ब्रम्हपुर - 78,000 रुपये
झारसुगुड़ा- 30,000 रुपये
कलाहांडी - 5,80,000 रुपये
कंधमाल - 52,884 रुपये
केंदुझर - 76,380 रुपये
कोरापुट- 30,240 रुपये
मलकानगिरी- 2,05,000 रुपये
मयूरभंज - 1,95,500 रुपये
नवरंगपुर – 61,000 रुपये
नुआपड़ा – 4,00,000 रुपये
पुरी – 1,38,970 रुपये
रायगड़ा – 90,000 रुपये
सुवर्णपुर – 60,000 रुपये
सुंदरगढ़ – 1,37,000 रुपये
मंत्री ने यह भी कहा कि यदि कोई मृतक श्रमिक ओडिशा भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड में नामांकित है, तो उसके परिवार को प्राकृतिक या आकस्मिक मृत्यु के मामले में अंतिम संस्कार लागत सहित सहायता मिलती है। इसी तरह, ओडिशा असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा बोर्ड के अंतर्गत काम करने वाले श्रमिकों के परिवारों को भी सहायता मिलती है।
इसके अलावा, कर्मचारी मुआवजा अधिनियम, 1923 के तहत, श्रमिकों की शिकायतों पर विचार करने के बाद उनके परिवारों को मुआवजा प्रदान किया जाता है।