भारत में हर साल लगभग एक लाख लोग होते हैं ब्लड कैंसर का शिकार

  • May 23, 2024
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भुवनेश्वर, 23 मई:

ब्ल्ड कैंसर का शीघ्र पता लगाना इस बीमारी से लड़ने की कुंजी है। स्टेम सेल प्रत्यारोपण के रूप में उपचार से जीवित रहने की दर में काफी सुधार हुआ है। यहां चिकित्सा विज्ञान संस्थान और सम अस्पताल में आयोजित एक कार्यक्रम में बुधवार को एक विशेषज्ञ ने इसकी जानकारी दी है। अस्पताल में हेमेटोलॉजी, हेमाटो ऑन्कोलॉजी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट विभाग की प्रमुख प्रो. (डॉ.) प्रियंका सामल ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद ब्लड कैंसर के रिपोर्ट किए गए मामलों में भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर है, जहां हर साल लगभग 1 लाख लोगों में ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और मल्टीपल मायलोमा जैसी बीमारी का निदान होता है। यह कार्यक्रम 28 मई को विश्व स्तर पर मनाए जाने वाले विश्व ब्लड कैंसर दिवस से पहले आयोजित किया गया था।

 प्रोफेसर (डॉ.) सामल ने कहा कि विभिन्न प्रकार के ब्लड कैंसर के अलग-अलग उपप्रकार, लक्षण और कारण होते हैं, जिनके लिए अलग-अलग उपचार की आवश्यकता होती है। ल्यूकेमिया भारत का सबसे आम प्रकार का ब्लड कैंसर है, जो सभी मामलों में से आधे से अधिक के लिए जिम्मेदार है।

 उन्होंने कहा कि एम्स और सम अस्पताल सभी प्रकार के ब्लड कैंसर के निदान और प्रबंधन के लिए अत्याधुनिक तकनीक से लैस है। यह उन्नत इमेजिंग और प्रयोगशाला परीक्षणों सहित नैदानिक सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला की पेशकश करता है।

उन्होंने कहा कि अस्पताल में उपलब्ध उपचार के विकल्प व्यक्तिगत रोगी की ज़रूरत के अनुरूप बनाए गए थे जिनमें कीमोथेरेपी, विकिरण थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी, लक्षित थेरेपी और स्टेम सेल प्रत्यारोपण शामिल थे।

उन्होंने कहा कि अस्पताल 2019 से अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण कर रहा है और 50 रोगियों का ऑटोलॉगस और एलोजेनिक प्रत्यारोपण हुआ है।

प्रो. (डॉ.) अशोक कुमार महापात्र, प्रख्यात न्यूरोसर्जन और सोआ विश्वविद्यालय के प्रधान सलाहकार (स्वास्थ्य विज्ञान), प्रो. (डॉ.) ललित कुमार मेहर, मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर और प्रो. (डॉ.) रचिता सारंगी, अतिरिक्त डीन (परीक्षा कक्ष) ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया जिसमें कई ब्लड कैंसर रोगियों ने भाग लिया।

प्रोफेसर (डॉ.) महापात्र ने कहा कि दुनिया भर में हर साल लगभग 15 लाख लोगों में इस बीमारी का पता चलता है। उन्होंने कहा, भारत में हर पांच मिनट में एक ब्लड कैंसर रोगी का निदान किया जाता है।

इस अवसर पर एम्स और सम अस्पताल के डीन प्रोफेसर (डॉ.) संघमित्रा मिश्रा द्वारा अस्पताल में इलाज करा चुके ब्लड कैंसर रोगियों के लिए भेजा गया एक संदेश पढ़ा गया। हेमेटोलॉजी, हेमाटो ऑन्कोलॉजी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रीतीश पात्रा ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।

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