पुरी स्थित 12वीं सदी के श्री जगन्नाथ मंदिर की मेघनाद प्राचीर में बार-बार हो रही पानी रिसाव की समस्या को लेकर श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से गहन वैज्ञानिक जांच कराने का आग्रह किया है।
एसजेटीए के मुख्य प्रशासक डॉ. अरविंद कुमार पाढ़ी ने इस संबंध में एएसआई को पत्र लिखकर समस्या की जानकारी दी और इसके मूल कारण की पहचान कर स्थायी संरक्षण समाधान लागू करने के लिए एएसआई की विशेषज्ञता मांगी है।
पत्र के अनुसार, मेघनाद प्राचीर में पानी रिसाव की समस्या सबसे पहले पिछले वर्ष सामने आई थी। एएसआई के मार्गदर्शन में एसजेटीए द्वारा मरम्मत कार्य किए जाने के बावजूद यह समस्या फिर से उभर आई है। हाल ही में मेघनाद प्राचीर के पूर्वी हिस्से में दोबारा सीपेज (रिसाव) देखा गया है, साथ ही काई (मॉस) का जमाव भी पाया गया है, जो दीवार में लगातार नमी के प्रवेश का संकेत देता है।
एसजेटीए ने इस स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा है कि यह समस्या दीवार की दीर्घकालिक संरचनात्मक मजबूती के लिए खतरा बन सकती है। प्रशासन ने एएसआई से अनुरोध किया है कि वह संरचनात्मक और सामग्री संबंधी परीक्षणों सहित एक व्यापक वैज्ञानिक जांच कर मूल कारण का पता लगाए और स्थायी संरक्षण उपाय लागू करे।
इस बीच, एसजेटीए ने एएसआई के पुरी सर्कल के तकनीकी मार्गदर्शन और निगरानी में अस्थायी मरम्मत कार्य कराने का प्रस्ताव भी रखा है। मामले में एएसआई से शीघ्र हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया है।