नुआपड़ा उपचुनाव से कुछ ही घंटे पहले पोलिंग टीमें हेलिकॉप्टर के जरिए सुनाबेड़ा जंगल क्षेत्र के नक्सल प्रभावित बूथों की ओर रवाना हुईं। सूत्रों के अनुसार, सुनाबेड़ा अभयारण्य के अंदर स्थित आठ माओवादी प्रभावित बूथों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। इन बूथों तक पोलिंग पार्टियों को पहुंचाने के लिए वायुसेना के विशेष हेलिकॉप्टरों की व्यवस्था की गई है।
कुल बूथों में से 101 को संवेदनशील और 57 को अति-संवेदनशील घोषित किया गया है। विशेष ध्यान 16 बूथों पर दिया गया है जो घने सुनाबेड़ा जंगल में स्थित हैं। 8 सोज़ेंक पंचायत में और 8 सुनाबेड़ा पंचायत में, ये सभी सीधे माओवादी प्रभाव वाले क्षेत्र हैं और ऐतिहासिक रूप से चुनावी बाधाओं के लिए कुख्यात रहे हैं। इन दुर्गम और उच्च खतरे वाले इलाकों में शांतिपूर्ण और सुरक्षित मतदान सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग ने जिला प्रशासन और सुरक्षा बलों के साथ समन्वय में अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम किए हैं।
प्रबंधों के तहत, भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टर चार विशेष उड़ानें भरेंगे, जिनमें प्रत्येक उड़ान में दो पोलिंग टीमों को ले जाया जाएगा। लैंडिंग के बाद कर्मियों को सीआरपीएफ, बीएसएफ और ओडिशा पुलिस की एसओजी कमांडो टीमों की सुरक्षा में बूथों तक पहुंचाया जाएगा। प्रत्येक टीम को जियो सिम कार्ड दिया गया है, क्योंकि क्षेत्र में यही एकमात्र सक्रिय नेटवर्क है, ताकि रीयल-टाइम संचार बना रहे। सभी टीमों से प्रति घंटे स्थिति रिपोर्ट ली जाएगी ताकि सुरक्षा और संचालन संबंधी चुनौतियों पर नजर रखी जा सके।
सीआरपीएफ के मुख्य कमांडेंट एरिक गिल्बर्ट जोस ने कहा कि डरने की कोई जरूरत नहीं है। सीआरपीएफ ने हर तरह की सुरक्षा व्यवस्था की है। चुनाव को ध्यान में रखते हुए पहले ही तलाशी अभियान चलाए जा चुके हैं। संवेदनशील इलाकों में सीआरपीएफ का नियंत्रण है। माओवादी खतरा नहीं है। चूंकि यह जंगल क्षेत्र है, इसलिए वे छिपकर आ सकते हैं। इस बात को ध्यान में रखकर बलों को तैनात किया गया है। किसी भी स्थिति में माओवादी बूथों के पास नहीं पहुंच सकते। प्रत्येक बूथ के बाहरी क्षेत्र में सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं। सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह अभेद्य बनाई गई है। चुनाव शांतिपूर्ण और सुरक्षित तरीके से संपन्न होगा। ऐसी व्यवस्था की गई है कि माओवादी किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति पैदा न कर सकें।