माओ प्रभावित इलाके के बच्चों को दिखाया गया ट्रेन, स्कूल की इमारत पर बनाई गई ट्रेन की पेंटिंग

  • Sep 12, 2018
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मालकानगिरी, 12 सितम्बरः

राज्य का माओवाद प्रभावित जिला मालकानगिरी का एक ऐसा इलाका है जहां के लोगों को आजादी के 71 साल बाद भी यह नहीं पता कि ट्रेन कैसी होती है। जिले का कट ऑफ एरिया चित्रकोंडा ब्लॉक में रहने वाले बच्चों को यह भी नहीं पता था कि ट्रेन का रंग, उसका आकार, उसे नियंत्रण कैसा किया जाता है। मलकानगिरी जिले के कट ऑफ एरिया इलाके के बच्चे बेहद गरीब परिवारों से आते हैं। वे लोग शहर से बाहर भी नहीं जा पाते और इसलिए इन्होंने कभी ट्रेन नहीं देखी है। ऐसे में इन उम्मीदों को पूरा करने के लिए जिले के चित्रकोंडा ब्लॉक के नोडल अपर प्राइमरी स्कूल ने बिल्डिंग ऐज लर्निंग एड नाम की योजना के तहत स्कूल की इमारत को ट्रेन की तरह रंगवा दिया गया है। स्कूल की दीवारें नीले रंग में हैं और 'डिब्बों' के दरवाजों से होकर क्लास में जाया जाता है। यह बनने के बाद बच्चों को अब यह जानकारी मिल गई कि वास्तव में ट्रेन कैसा होता है और उसका आकार और उसे नियंत्रण कैसा किया है। बच्चों में अब एक उत्साह का माहौल बना हुआ है।

स्कूल का नाम भी 'माल्याबंत' एक्सप्रेस रखा गया है। माल्याबंत ओडिशा, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की आदिवासी बेल्ट का कहा जाता है। स्कूल के हेडमास्टर का कहना है कि बच्चे इससे खुश तो हैं लेकिन वह असली की ट्रेन में बैठना चाहते हैं। एक छात्र ने कहा, 'यह दुर्भाग्य की बात है कि आजादी के कई दशक बाद भी हमारे जिले में रेल नेटवर्क नहीं है। हमें असली ट्रेन चाहिए।'

90 साल पुराने इस स्कूल में 13 टीचर्स और 620 स्टूडेंट्स हैं। सरकारी योजना के तहत स्कूल की पेंटिंग का काम 20 अगस्त को पूरा कर लिया गया था जिसके बाद से बच्चे उत्साहित हैं। सातवीं क्लास में पढ़ने वाले राम कहते हैं, 'मैंने कभी ट्रेन नहीं देखी थी। अब मुझे पता है कि वह कैसी दिखती है। यह बहुत खूबसूरत है।' वहीं, लछमी कहती हैं, 'मैंने सिर्फ हिंदी फिल्मों में ट्रेन देखी थी लेकिन अब ऐसा लगता है जैसे हमारे कैंपस में असली की ट्रेन आ गई हो।'

बिल्डिंग ऐज लर्निंग एड के तहत सरकारी स्कूलों में इमारतों को ऐसी शक्ल दी जाती है जिससे पढ़ाई में उसका इस्तेमाल किया जा सके। क्वॉलिटी एजुकेशन की ओर बढ़ने के लिए यह कदम उठाया गया है। बच्चों का इसमें काफी रुझान रहता है। ओडिशा के 30 जिलों में 31 स्कूलों के लिए सरकार ने पिछले साल 10 लाख रुपये दिए थे।

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