रिम्स परिसर से अतिक्रमण हटाए जाने पर सियासत शुरू हो गया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने उच्च न्यायालय के आदेश से रिम्स परिसर में बने अवैध निर्माण को तोड़े जाने का स्वागत करते हुए कहा है कि यह न्यायोचित और स्वागत योग्य है, लेकिन सवाल यहीं खत्म नहीं होता। उन्होंने कहा कि आखिर हेमंत सरकार के इस भ्रष्ट तंत्र की सजा आम जनता क्यों भुगते? उन्होंने कहा कि रिम्स परिसर में हुए अवैध निर्माण के लिए हेमंत सरकार का भ्रष्ट तंत्र पूरी तरह जिम्मेदार है। भ्रष्ट अधिकारी जिम्मेदार हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री का संरक्षण प्राप्त है। बीजेपी प्रदेश कार्यालय में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जब कोई आम नागरिक फ्लैट या जमीन खरीदता है तो संबंधित जमीन को सरकारी या निजी संपत्ति बताने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। आम आदमी तो सरकार के द्वारा जारी दस्तावेजों पर भरोसा करता है।बाबूलाल मरांडी ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि यदि रिम्स परिसर में हुए अवैध निर्माण की जमीन रिम्स की थी तो फिर रजिस्ट्रार ने उस पर बने फ्लैट की रजिस्ट्री कैसे कर दी? रजिस्ट्रार का तो काम ही है रजिस्ट्री के पहले यह सुनिश्चित करना कि जमीन वैध है। लेकिन यहां जिस प्रकार नियमों की अनदेखी की गई है, उसमें बड़े भ्रष्टाचार, रिश्वत की लेन-देन से इनकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं भ्रष्टाचार के तार नीचे से ऊपर तक जुड़े हुए हैं और अगर ऐसा नहीं है तो फिर रजिस्ट्री के बाद जमीन का म्यूटेशन कैसे हो गया?
झारखंड में तो म्यूटेशन के लिए आम आदमी वर्षों तक कार्यालय का चक्कर काटता है, लेकिन रिम्स के अवैध निर्माण पर हुए रजिस्ट्री का म्यूटेशन बड़ी आसानी से हो गया। उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण में रांची नगर निगम भी कम जिम्मेवार नहीं है, आखिर रिम्स की जमीन पर फ्लैटों का नक्शा कैसे स्वीकृत हुआ और पास भी हो गया, जबकि सबको पता है कि हाईकोर्ट के आदेश से वर्षों तक नगर निगम में नक्शा पास करने का काम स्थगित था। उन्होंने कहा कि आम आदमी जब नक्शा पास कराने का आवेदन देता है तो दर्जनों दस्तावेज मांगे जाते हैं, फाइल को बार-बार क्वेयरी के नाम पर रोका जाता है। फिर अवैध निर्माण का नक्शा आखिर किसके आदेश से पारित हुआ?