पश्चिम बंगाल में सक्रिय फर्जी भारतीय पासपोर्ट रैकेट से जुड़े मामले में कोलकाता पुलिस ने आठवें और अंतिम आरोपित धीरन घोष को गिरफ्तार किया है। जांच में खुलासा हुआ है कि वह न केवल फर्जी पासपोर्ट और पहचान पत्र बनाने में संलिप्त था, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अवैध नौकरियों के रैकेट से भी जुड़ा हुआ था।कोलकाता पुलिस के सूत्रों के अनुसार, धीरन घोष के आय के दो प्रमुख स्रोत थे। पहला, वह बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए फर्जी भारतीय पहचान पत्र और पासपोर्ट बनाता था। जब ये घुसपैठिये भारतीय सीमा में प्रवेश करते, तो उन्हें फर्जी दस्तावेज उपलब्ध कराए जाते। दूसरा स्रोत था अवैध नौकरियों की व्यवस्था, जिसमें यूरोप के कुछ देशों तक भी नौकरियों की पेशकश की जाती थी। यह व्यवस्था उन बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए होती थी जो मोटी रकम चुकाने को तैयार रहते थे।सूत्रों के अनुसार, धीरन घोष ने 2017 में भारत लौटने से पहले 10 वर्षों तक इटली में एक रसोइये के रूप में काम किया था। वहां उसने अंतरराष्ट्रीय नौकरी रैकेट से जुड़े प्रमुख व्यक्तियों के साथ संपर्क स्थापित किया।
भारत लौटने के बाद उसने इन संबंधों का इस्तेमाल कर फर्जी पहचान पत्र बनाने और अवैध नौकरियों की व्यवस्था के कारोबार में कदम रखा। घोष ने बांग्लादेश में भी अपना एक नेटवर्क स्थापित किया था, जो वहां के नौकरी चाहने वालों को अवैध रूप से भारतीय सीमा में प्रवेश करने और फिर विदेश में नौकरी पाने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाने में मदद करता था।