डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय का नाम बदलने के झारखंड सरकार के फैसले को लेकर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं। भाजपा ने हेमंत कैबिनेट के इस फैसले को गलत परंपरा की शुरुआत बताया है। वहीं झामुमो और कांग्रेस इसे झारखंड के वीर सपूत और महान स्वतंत्रता सेनानी बुधु भगत का सम्मान बता रहे हैं। दरअसल, वर्ष 2017 में रघुवर दास के शासनकाल में सरकार ने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत चलने वाले रांची कॉलेज को जनसंघ के संस्थापक और स्वतंत्रता सेनानी डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर विश्वविद्यालय बनाया गया। अब हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गुरुवार 08 मई को हुई कैबिनेट की बैठक में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय का नाम बदलकर कोल विद्रोह के महानायक शहीद वीर बुधु भगत विश्वविद्यालय करने का निर्णय लिया गया है। हेमंत कैबिनेट के इस फैसले को लेकर सत्ता पक्ष और मुख्य विपक्षी दल भाजपा आमने-सामने आ गए हैं। झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने इसे गलत परंपरा की शुरुआत बताया है, जबकि झामुमो-कांग्रेस के नेता इसे राज्य की धरती के सपूत महान स्वतंत्रता सेनानी वीर बुधु भगत और आदिवासी समाज का सम्मान बता रहे हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कैबिनेट के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण और गलत परंपरा की शुरुआत बताया है। उन्होंने हेमंत कैबिनेट के फैसले पर कहा कि यह न तो श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सम्मान में है और न ही महान स्वतंत्रता सेनानी वीर बुधु भगत के योगदान को उचित सम्मान देता है। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने अपने प्रदेश अध्यक्ष के बयान को आगे बढ़ाते हुए कहा कि देश को अखंड और सर्वव्यापक बनाने के साथ-साथ कश्मीर की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले डॉ। श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बारे में झामुमो और हेमंत सरकार की संकीर्ण सोच दुर्भाग्यपूर्ण है।