ओडिशा विधानसभा अध्यक्ष सुरमा पाढ़ी ने सदन में अनुशासनहीनता के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए कांग्रेस के 12 विधायकों को सात कार्य दिवसों के लिए निलंबित कर दिया है।
यह कार्रवाई विधायकों द्वारा सदन के वेल में विरोध प्रदर्शन करने, कार्यवाही बाधित करने और अध्यक्ष के प्रति अनादर दिखाने के बाद की गई है। निलंबन कांग्रेस सदस्यों द्वारा किए गए उग्र विरोध प्रदर्शनों का परिणाम है, जिसके कारण विधानसभा में बार-बार व्यवधान उत्पन्न होता रहा है।
अध्यक्ष पाढ़ी ने इस बात पर जोर दिया कि व्यवस्था बनाए रखने और संसदीय मर्यादा को बनाए रखने के लिए यह निर्णय आवश्यक था। परिणामस्वरूप, निलंबित विधायकों को अगले सात दिनों तक सदन की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
यह पहली बार नहीं है जब अध्यक्ष पाढ़ी ने विधानसभा में कदाचार के खिलाफ कार्रवाई की है। इससे पहले, कांग्रेस विधायक ताराप्रसाद वाहिनीपति को प्रश्नकाल के दौरान कथित कदाचार के कारण सात दिनों के लिए निलंबित किया गया था।
निलंबित विधायकों में कांग्रेस विधायक दल के अध्यक्ष रामचंद्र कदम, सी एस राजन एक्का, सोफिया फिरदौस, अशोक दास, मंगू खिला, दशरथी गमांग, सत्यजीत गमंग, नीलामधव हिकाका, सागर दास और प्रफुल्ल प्रधान शामिल हैं। कांग्रेस के दो विधायकों- तारा प्रसाद वाहिनीपति और रमेश जेना पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
सरकार के मुख्य सचेतक सरोज कुमार प्रधान ने सदन में बार-बार हंगामा करने वाले विधायकों को निलंबित करने की मांग करते हुए प्रस्ताव पेश किया। सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित होने पर निलंबित विधायक वेल में हंगामा करते देखे गए। बाद में सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई और अध्यक्ष ने निलंबित विधायकों को जल्द से जल्द सदन खाली करने का निर्देश दिया।
कांग्रेस विधायक तारा प्रसाद वाहिनीपति ने कहा कि हमें निलंबन का डर नहीं है। बल्कि सरकार कांग्रेस पार्टी से डरती है, जिसने 27 मार्च को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है। हम राज्य के हित के लिए लड़ते रहेंगे।
इस संबंध में मंत्री कृष्ण चंद्र महापात्र ने कहा कि स्पीकर के पास अनुशासनहीनता के लिए सदन से किसी भी सदस्य को निलंबित करने का अपना विशेषाधिकार है। उन्होंने विधानसभा के सुचारू संचालन के लिए ऐसा किया है।