ओडिशा सरकार पड़ोसी राज्यों के साथ सभी अंतर-राज्यीय विवादों को सुलझाने के लिए जल्द ही एक अंतर-मंत्रालयी समिति गठित करेगी। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने लोक सेवा भवन में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान यह निर्णय लिया।
मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक प्रेस नोट के अनुसार, मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में पोलावरम, महानदी, कोटिया आदि सहित विभिन्न अंतर-राज्यीय विवादों पर गहन चर्चा हुई।
बैठक के दौरान कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन, महाधिवक्ता पीतांबर आचार्य, मुख्य सचिव मनोज आहूजा, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव निकुंज बिहारी धल, विकास आयुक्त अनु गर्ग और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
उल्लेखनीय है कि ओडिशा पड़ोसी राज्यों पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ के साथ नदी जल बंटवारे, बांधों और बैराजों के निर्माण और सीमा संबंधी मुद्दों पर विवाद में है। ओडिशा आंध्र प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल के साथ क्षेत्रीय विवादों में उलझा हुआ है।
कोटिया ग्राम पंचायत को लेकर आंध्र प्रदेश के साथ क्षेत्रीय विवाद 1960 से ही चला आ रहा है। आंध्र प्रदेश के साथ सीमा विवाद कोटिया ग्राम पंचायत के 21 गांवों से जुड़ा है। ओडिशा का पश्चिम बंगाल के साथ विवाद है
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य का बालेश्वर जिले में 27 भूखंडों और मयूरभंज जिले के कुछ क्षेत्रों को लेकर पश्चिम बंगाल के साथ सीमा विवाद है। सूत्रों ने दावा किया कि ओडिशा और छत्तीसगढ़ नवरंगपुर और झारसुगुड़ा जिलों के कुछ गांवों को लेकर क्षेत्रीय संघर्ष में उलझे हुए हैं।
इसी तरह, वंसधारा नदी पर ओडिशा और आंध्र प्रदेश के बीच जल-बंटवारे के विवाद का समाधान खोजने के लिए वंसधारा जल विवाद न्यायाधिकरण की स्थापना की गई थी। राज्य ने हाल ही में गोदावरी नदी पर आंध्र प्रदेश द्वारा पोलावरम बांध के निर्माण पर आपत्ति जताई है।
केंद्र सरकार ने ओडिशा और पड़ोसी छत्तीसगढ़ के बीच महानदी नदी जल-बंटवारे के विवाद का निपटारा करने के लिए 2018 में महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण का गठन किया था।