राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल 'राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज' यानी रिम्स के निदेशक को डॉ. राजकुमार को बड़ी राहत मिली है। उनको निदेशक के पद से हटाने के बाबत 17 अप्रैल को जारी आदेश को राज्य सरकार ने वापस ले लिया है। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को यह जानकारी दी गई है। इस आधार पर हाईकोर्ट ने रिम्स निदेशक डॉ. राजकुमार की याचिका को निष्पादित कर दिया है। यह जानकारी हाईकोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने दी है।
दरअसल, 17 अप्रैल को स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी की ओर से डॉ. राजकुमार को रिम्स के निदेशक के पद से हटाने के लिए पत्र जारी किया गया था। राज्य सरकार के इस आदेश को निदेशक ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए इसे नेचुरल जस्टिस के नियमों का उल्लंघन बताया था। उनकी याचिका पर 29 अप्रैल को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के जस्टिस दीपक रौशन की अदालत ने निदेशक के पद से हटाने के आदेश को स्थगित कर दिया था। साथ ही कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को शपथ पत्र के जरिए अपना पक्ष रखने के लिए कहा था।
स्वास्थ्य मंत्री सह रिम्स शासी परिषद के अध्यक्ष डॉ. इरफान अंसारी ने रिम्स निदेशक डॉ. राजकुमार को तत्काल प्रभाव से निदेशक पद से हटाने से जुड़ा पत्र जारी कर दिया था। उन्होंने प्रशासनिक अक्षमता का हवाला देते हुए पद से हटाने का आदेश जारी किया था।उनकी दलील थी कि निदेशक के पद पर रहने के बावजूद उन्होंने कैबिनेट, शासी परिषद और विभाग के स्तर पर लोकहित में लिए गए निर्णय और निर्देशों का पालन नहीं किया था। ऐसे में रिम्स अधिनियम, 2002 द्वारा निर्धारित उद्देश्यों को पूर्ण करने में डॉ. राजकुमार की सेवा संतोषजनक नहीं पायी गई। इसलिए रिम्स नियमावली 2002 के नियम-9 (vi) का हवाला देकर लोकहित में डॉ. राजकुमार को तीन महीने का वेतन और भत्ता देते हुए तत्काल प्रभाव से निदेशक के पद से हटा दिया गया था। इस निर्णय पर मुख्यमंत्री का अनुमोदन प्राप्त होने की बात भी कही गई थी।