कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को ओडिशा विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन 15 महीने पहले बनी भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। इस कदम से राज्य की राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। सूत्रों के अनुसार, यह प्रस्ताव कांग्रेस के सभी 14 विधायकों और एकमात्र माकपा विधायक के हस्ताक्षर से तैयार कर विधानसभा अध्यक्ष सुरमा पाढ़ी को सौंपा गया।
कांग्रेस नेताओं ने बीजू जनता दल (बीजद) के वरिष्ठ विधायकों से भी मुलाकात कर इस प्रस्ताव के समर्थन की अपील की, हालांकि बीजद ने अभी तक अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है।
कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता रामचंद्र कदम ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार महिलाओं की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था और किसानों, दलितों, आदिवासियों व पिछड़े वर्गों की समस्याओं के समाधान में पूरी तरह विफल रही है। राज्य सरकार जनता की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी, इसलिए हमने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है।
कांग्रेस नेताओं ने विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह किया कि अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर प्रश्नकाल के बाद इस पर बहस की अनुमति दी जाए।
वहीं भाजपा नेताओं ने इस कदम को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस की विधानसभा में संख्या बेहद कम है, इसलिए इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
147 सदस्यीय ओडिशा विधानसभा में फिलहाल भाजपा के पास 78 सीटें हैं। इसके बाद बीजद के पास 51 सीटें (नुआपड़ा सीट रिक्त), कांग्रेस के पास 14 और माकपा के पास एक सीट है। इसके अलावा तीन निर्दलीय विधायक भी भाजपा सरकार का समर्थन कर रहे हैं।