इस्कॉन की रथ यात्रा की असामयिक योजना पर पुरी शंकराचार्य ने जताई नाराजगी

  • Oct 30, 2024
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भुवनेश्वर,30 अक्टूबरः

अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) की ह्यूस्टन इकाई की रथ यात्रा की असामयिक योजना पर नाराजगी जताते हुए पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि परंपरा का उल्लंघन करने का ऐसा जानबूझकर किया गया इरादा किसी भी तरह से उनकी मदद नहीं करने वाला है।

मीडिया से बात करते हुए स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि परंपरा और भावनाओं के बीच सामंजस्य होना चाहिए, तभी सफलता मिल सकती है। भगवद गीता में भी इसका उल्लेख है।

 पुरी के संत ने कहा कि वे (इस्कॉन) अनुष्ठान जानते हैं। उनका यह कृत्य लोकप्रियता हासिल करने का एक हथकंडा मात्र है। इससे उन्हें किसी भी तरह से कोई लाभ नहीं होने वाला है। वे जानबूझकर परंपरा का उल्लंघन कर रहे हैं। इससे उन्हें केवल असफलता ही मिलेगी।

 इससे पहले कल पुरी गजपति महाराजा दिव्यसिंह देव ने शासी निकाय आयोग, इस्कॉन मायापुरी के अध्यक्ष और इस्कॉन मंदिर, ह्यूस्टन के अध्यक्ष को पत्र लिखकर नौ नवंबर को होने वाली रथ यात्रा को रद्द करने का अनुरोध किया था।

 जन्माष्टमी और रथ यात्रा के बीच समानता दर्शाते हुए उन्होंने अपने पत्र में कहा कि भगवान जगन्नाथ के त्यौहार, भगवान कृष्ण के त्यौहारों की तरह, पूरे विश्व में (और केवल भारत में ही नहीं) शास्त्रों और परंपराओं के अनुसार समान रूप से मनाए जाने चाहिए।

 विशेष रूप से, इस्कॉन की ह्यूस्टन इकाई पर अमेरिका में असामयिक स्नान यात्राऔर रथ यात्राआयोजित कर जगन्नाथ संस्कृति को कलंकित करने का आरोप लगाया गया है।

 इस्कॉन की ह्यूस्टन इकाई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक विज्ञप्ति के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय समाज तीन नवंबर को पवित्र त्रिदेवों की 'स्नान यात्रा' आयोजित करने और नौ नवंबर को रथ यात्रा आयोजित करने की योजना बना रहा है।

 इस्कॉन द्वारा भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों के दिव्य अनुष्ठानों को असमय आयोजित करने के इस प्रयास से भक्तों में आक्रोश फैल गया है।

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