बिलासपुर मंडल के लिए लंबे समय से प्रतीक्षित अंबिकापुर-रामानुजगंज-बरवाडीह नई रेल लाइन और रामानुजगंज–गढ़वा रोड परियोजना को आखिरकार रेल मंत्रालय से मंजूरी मिल गई है। इन दोनों परियोजनाओं के तहत कुल 262 किलोमीटर नई रेल लाइन बिछाई जाएगी, जिसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) पहले ही तैयार की जा चुकी है। यह कदम अंबिकापुर और पूरे उत्तरी छत्तीसगढ़ की कनेक्टिविटी को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है। यह जानकारी लोकसभा में सांसद चिन्तामणि महाराज द्वारा पूछे गए अतारांकित प्रश्न के जवाब में रेल, सूचना एवं प्रसारण तथा इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी। उन्होंने बताया कि, छत्तीसगढ़ में रेल नेटवर्क को मजबूत करने के लिए हाल के वर्षों में केंद्र सरकार ने रेल परियोजनाओं को अभूतपूर्व गति प्रदान की है। मंत्री ने बताया कि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, बिलासपुर मंडल में अंबिकापुर क्षेत्र से जुड़ी कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को प्राथमिकता दी गई है। बोरिडांड–अंबिकापुर (80 किमी) दोहरीकरण कार्य पहले ही प्रारंभ हो चुका है। अंबिकापुर–रामानुजगंज–बरवाडीह नई रेल लाइन और रामानुजगंज–गढ़वा रोड लाइन (कुल 262 किमी) की डीपीआर भी पूरी हो चुकी है। इसी तरह सरडेगा–पत्थलगांव–अंबिकापुर नई रेल लाइन (218 किमी) की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट भी तैयार कर ली गई है।उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ को मिलने वाला रेल बजट भी रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ा है। वर्ष 2009–14 के दौरान जहां औसत वार्षिक आवंटन 311 करोड़ रुपये था, वहीं 2025–26 में यह बढ़कर 6,925 करोड़ रुपये हो गया है। जो 22 गुना से अधिक वृद्धि है। नई रेल लाइनों के कमीशनिंग में भी उल्लेखनीय उछाल दर्ज हुआ है; 2009–14 के 32 किमी की तुलना में 2014–25 के बीच 1,189 किमी रेल लाइनें चालू की गईं, जो 15 गुना से अधिक है।
मंत्री वैष्णव ने स्पष्ट किया कि, किसी भी रेल परियोजना की स्वीकृति यातायात पूर्वानुमान, लाभप्रदता, पहली-अंतिम मील कनेक्टिविटी, अपूर्ण कड़ियां जोड़ने, राज्य सरकारों के सहयोग और क्षेत्रीय आवश्यकताओं जैसे मानकों पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण, वन मंजूरी, जनोपयोगी सुविधाओं के स्थानांतरण तथा स्थानीय परिस्थितियों जैसे कारक परियोजनाओं की गति को प्रभावित करते हैं, बावजूद इसके अंबिकापुर क्षेत्र की सभी प्रमुख परियोजनाओं को प्राथमिकता के साथ तेज़ी से पूरा करने के प्रयास जारी हैं। नई परियोजनाओं को मंजूरी मिलना न सिर्फ उत्तर छत्तीसगढ़ बल्कि झारखंड और उत्तर प्रदेश से जुड़े इलाकों की कनेक्टिविटी को भी नया आयाम देगा, साथ ही क्षेत्र के सामाजिक एवं आर्थिक विकास को भी नई ऊर्जा प्रदान करेगा।