पश्चिम बंगाल के शिक्षक नियुक्ति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नया खुलासा करते हुए बताया है कि पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और उनके दामाद कल्याणमय भट्टाचार्य ने ‘डोनेशन’ के नाम पर काले धन को सफेद करने का संगठित तरीका अपनाया। इस संबंध में ईडी ने अदालत में पांचवीं अतिरिक्त चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें पार्थ और उनके परिजनों की संलिप्तता का उल्लेख किया गया है। ईडी के अनुसार, पार्थ चटर्जी की पत्नी के नाम पर बनाए गए बबली चटर्जी मेमोरियल ट्रस्ट को भ्रष्टाचार का मुख्य जरिया बनाया गया। पार्थ चटर्जी ने विभिन्न लोगों को नकद पैसे देकर ट्रस्ट के लिए ‘डोनेशन’ के रूप में वापस मंगवाया। ट्रस्ट को बड़ी रकम चेक के माध्यम से डोनेशन के रूप में मिली, लेकिन ईडी की जांच में पाया गया कि वह पैसा पहले नकद के रूप में पार्थ चटर्जी से लिया गया था। कल्याणमय भट्टाचार्य, जो ट्रस्ट के एक ट्रस्टी थे, ने ईडी के समक्ष स्वीकार किया कि ट्रस्ट के लिए 1.17 करोड़ रुपये बतौर डोनेशन जुटाए गए थे। इस पैसे से वर्ष 2019 में 15 कट्ठा जमीन खरीदी गई। इसके अलावा, 2017 में कल्याणमय ने पार्थ के कहने पर एक कंपनी बोटानिक्स एग्रो टेक्स प्राइवेट लिमिटेड बनाई, जिसका इस्तेमाल नकद धन को वैध दिखाने के लिए किया गया।ईडी ने यह भी दावा किया कि पार्थ ने अपने दामाद को 15 करोड़ रुपये दिए, जिससे उन्होंने एक स्कूल बीसीएम इंटरनेशनल की स्थापना की। जांच में पाया गया कि पार्थ और उनके परिजनों ने धन को छिपाने के लिए कई फर्जी कंपनियां बनाई और उनका संचालन किया।
ईडी ने बताया कि बबली चटर्जी मेमोरियल ट्रस्ट के पीछे पार्थ चटर्जी की योजना थी, जिसमें उनकी बेटी सोहिनी चटर्जी ट्रस्ट की अध्यक्ष थीं। हालांकि, चार्जशीट में सोहिनी को आरोपित नहीं बनाया गया है। वर्तमान में सोहिनी और उनके पति कल्याणमय विदेश में हैं, जिससे ईडी की जांच में दिक्कत आ रही है। उल्लेखनीय है कि 2022 में पार्थ चटर्जी को शिक्षक नियुक्ति घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी के फ्लैट से 50 करोड़ रुपये से अधिक नकद बरामद किए गए थे। पार्थ चटर्जी पिछले दो वर्षों से जेल में हैं। ईडी की नई चार्जशीट ने भ्रष्टाचार के कई पहलुओं का खुलासा हुआ है।