डिग्री प्राप्त करना ही शिक्षा नहीं, सीखने का जुनून जरूरीः राष्ट्रपति मुर्मू

  • Mar 01, 2024
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ब्रम्हपुर,01 मार्चः

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को ओडिशा के गंजाम जिले के भंज बिहार में ब्रम्हपुर विश्वविद्यालय के 25वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया और संबोधित किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि ओडिशा के दक्षिणी क्षेत्र का न केवल ओडिशा के इतिहास में, बल्कि भारत के इतिहास में भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। यह भूमि शिक्षा, साहित्य, कला और शिल्प से समृद्ध है। इस क्षेत्र के पुत्र कवि सम्राट उपेन्द्र भंज और कविसूर्य बलदेव रथ ने अपनी लेखनी से उड़िया के साथ-साथ भारतीय साहित्य को भी समृद्ध किया है। यह भूमि अनेक स्वतंत्रता सेनानियों, शहीदों और जनसेवकों की जन्मस्थली और कर्मभूमि भी रही है।

राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 1967 में स्थापित ब्रम्हपुर विश्वविद्यालय, ओडिशा के दक्षिणी भाग का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है। उन्होंने इस क्षेत्र की शिक्षा और विकास में ब्रम्हपुर विश्वविद्यालय की भूमिका की सराहना की, जो एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है।

राष्ट्रपति ने कहा कि ब्रम्हपुर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभागों और इसके संबद्ध कॉलेजों में लगभग 45000 छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि 55 प्रतिशत से अधिक छात्र लड़कियां हैं। इतना ही नहीं, स्वर्ण पदक विजेताओं में 60 प्रतिशत लड़कियां हैं और आज डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने वाले शोधकर्ताओं में भी आधी लड़कियां हैं। उन्होंने कहा कि यह लैंगिक समानता का उत्कृष्ट उदाहरण है।

 राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि यदि समान अवसर दिए जाएं तो लड़कियों में लड़कों से बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता है। साहित्य, संस्कृति, नृत्य और संगीत में महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय रही है। लेकिन अब हमारी बेटियों की क्षमता विज्ञान और प्रौद्योगिकी से लेकर पुलिस और सेना तक हर क्षेत्र में दिखाई दे रही है। अब हम महिला विकास के चरण से महिला नेतृत्व वाले विकास की ओर बढ़ रहे हैं।

 राष्ट्रपति ने छात्रों से कहा कि दीक्षांत समारोह सिर्फ डिग्री प्राप्त करने का उत्सव नहीं है। यह उनकी कड़ी मेहनत और सफलता को पहचानने का भी उत्सव है। यह नए सपनों और संभावनाओं के द्वार खोलता है। उन्होंने कहा कि डिग्री प्राप्त करना शिक्षा का अंत नहीं है। उनमें जीवन भर सीखने का जुनून होना चाहिए।

राष्ट्रपति मुर्मू ने उनसे अपने ज्ञान और बुद्धिमत्ता का उपयोग न केवल अपने लिए बल्कि दूसरों के लिए भी करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि उन्हें राष्ट्र निर्माण के बारे में भी सोचना चाहिए।

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