हाईकोर्ट की डबल बैंच ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के 106 कर्मियों की बर्खास्तगी के मामले में बैंक की अपील आंशिक रूप से स्वीकार की है। कोर्ट ने सहकारी बैंक की अपील पर सिंगल बेंच के आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें सहकारी बैंक के कर्मचारियों की बर्खास्तगी को गलत ठहराते हुए उन्हें सेवा में बहाल करने का आदेश दिया गया था। कोर्ट ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक को यह आदेश दिया है कि वह निकाले गए कर्मचारियों का पक्ष जानने के बाद ही यह तय करे कि उन्हें नौकरी पर रखना है या बर्खास्त करना है।बता दें कि वर्ष 2016 में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक प्रबंधन ने 106 लोगों को नियुक्ति दी थी, जिन्हें बाद में बर्खास्त कर दिया गया था। इस मामले में 29 कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कार्रवाई को चुनौती दी।
जस्टिस एके प्रसाद की सिंगल बेंच ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के संबंधित कर्मचारियों की सेवा समाप्ति का आदेश निरस्त कर दिया था। कोर्ट ने माना कि कर्मचारियों का पक्ष जाने बिना ही उन्हें बर्खास्त कर दिया गया।सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ बैंक प्रबंधन ने डिवीजन बेंच में अपील की थी। सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व न्यायाधीश अरविंद कुमार वर्मा की डिवीजन बेंच ने फैसला देते हुए सभी बर्खास्त कर्मचारियों को बहाल करने के सिंगल बेंच के फैसले को निरस्त कर दिया। साथ ही याचिकाकर्ता यानी बैंक प्रबंधन को यह निर्देश दिया कि जिन कर्मचारियों ने भी अपनी बर्खास्तगी को चुनौती दी है, उनका पक्ष जाना जाये और उसके बाद ही उनकी बर्खास्तगी को लेकर कोई फैसला किया जाये। कोर्ट ने इसके लिए प्रबंधन को 3 माह का समय दिया है।