नागरिकता संशोधन कानून सीएए से किसी से डरने की जरूरत नहीं है। यह कानून नागरिकता छीनने वाला नहीं बल्कि नागरिकता देने वाला कानून है। नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यकों और लंबे समय से भारत में बगैर नागरिकता के रहनेवाले शरणार्थियों को देश की नागरिकता दी जाएगी। पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकारों ने भी बाहरी देशों से घुसपैठ के जरिए भारत में रहने वाले की बात तो करते थे लेकिन इसके लिए कभी कानून नहीं बनाया। सीएए को लेकर देश की जनता को विपक्ष गुमराह कर रहा है । एनडीए के शासनकाल में जब नागरिकता संशोधन कानून बनाया गया तब कांग्रेसी एवं वामपंथी दल देशवासियों को भड़का कर देश को अशांत करने में जुटे हैं।
उक्त बातें केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने नगर भवन में आयोजित सीसीए से संबंधित कार्यक्रम में कही। केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री ने कहा कि भारत में कानून बनाने का अधिकार संविधान ने भारतीय संसद को दिया है। भारतीय संसद ने ही नागरिकता संशोधन कानून बहुमत से पास किया है। राज्यसभा में एनडीए को बहुमत नहीं होने के बावजूद वहां से भी सीएए कानून को बहुमत से पारित किया गया है। उन्होंने कहा कि जिस समय लोकसभा और राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल प्रस्तुत किया गया था। उस समय विपक्ष के सदस्यों ने भी इसका समर्थन कर बहुमत से बिल को पास करवाया। जब यह बिल पास होकर कानून बन गया तब इनके द्वारा देशभर में विरोध किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश का बनाया कानून को कोई भी राज्य लागू होने से नहीं रोक सकता। यदि कोई राज ऐसा करता है तो वह राज्य संविधान विरोधी है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर असम में एनआरसी की छानबीन की गई थी। उस वक्त किसी ने भी एनआरसी पर सवाल खड़ा नहीं किया। आज जब नागरिकता देने के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम लाया गया है तो देश को भड़का कर अशांत किया जा रहा है।